अभिप्राय और उद्देश्य

उद्देश्य

"सीआरसी का लक्ष्य दिव्यांग व्यक्तियों (दिव्यांगजनों) को स्वतंत्र रूप से जीने और सामान्य व्यक्तियों की तरह समुदाय में योगदान देने के लिए सशक्त बनाना है। सीआरसी स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य दिव्यांगजनों के लिए प्रशिक्षण और जनशक्ति विकास करना, अनुसंधान के लिए आवश्यक अवसंरचना का सृजन करना, और दिव्यांग व्यक्तियों को सेवाएं प्रदान करना है; विशेष रूप से देश के उन हिस्सों के लिए जहाँ ऐसे बुनियादी ढांचे का अभाव है।
सीआरसी के निम्नलिखित उद्देश्य हैं:

  • दिव्यांगों के पुनर्वास और विशेष शिक्षा के लिए संसाधन केंद्र के रूप में काम करना।
  • सामुदायिक पुनर्वास के सिद्धांतों का पालन करते हुए मौजूदा चिकित्सा, शैक्षिक और रोजगार सेवाओं के साथ संबंध स्थापित करना और ग्रामीण क्षेत्रों में भी विस्तृत रूप से ये सेवाएं प्रदान करना।
  • स्वैच्छिक संगठनों, अभिभावक के समूहों और स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहित और समर्थन देकर सेवाओं के विकास को प्रोत्साहित करना।
  • दिव्यांग व्यक्तियों को सेवाएं प्रदान करने के लिए आवश्यक सरकारी और गैर-सरकारी क्षेत्र में अनुभवी पुनर्वास केंद्रों, ग्राम स्तरीय कर्मियों, बहु पुनर्वास कर्मियों और अन्य कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करके मानव संसाधन का विकास करना।
  • क्षेत्र की सामाजिक-सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के लिए उपयुक्त पुनर्वास सेवाएं प्रदान करने के लिए कुटनीतियाँ विकसित करना।
  • इस क्षेत्र में दिव्यांगता की प्रकृति और गंभीरता को ध्यान में रखते हुए दिव्यांग लोगों के विविध समूहों की जरूरतों के विशिष्ट संदर्भ के साथ अनुसंधान और विकास करना।
  • अभिभावक और समुदाय में जागरूकता के सृजन के लिए सार्वजनिक शिक्षा कार्यक्रमों का आयोजन करना।
  • व्यक्तियों को उनकी दिव्यांगता को दूर करने में मदद करने के लिए सहायक उपकरणों के डिजाइन, निर्माण और प्रत्यारोपण में उनकी साहयता करना।
  • रोजगार, पुनर्वास, गतिशीलता, संचार, मनोरंजन और समाज में एकीकरण के अवसरों की वृद्धि के लिए शिक्षा और कौशल विकास की सेवा का संचालन करना।