सीआरसी भोपाल के बारे में

सीआरसी क्या है?

सीआरसी (कम्पोज़िट रीजनल सेंटर) अर्थात समेकित क्षेत्रीय दिव्यांगजन केंद्र का निर्माण दिव्यांगजनों के कौशल विकास, पुनर्वास एवं दिव्यांगजन सशक्तीकरण के लिए किया गया है। सीआरसी भारत सरकार, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा शुरू की गयी एक सेवा प्रतिरूपी पहल है। सभी समेकित क्षेत्रीय दिव्यांगजन केंद्र, राष्ट्रीय संस्थानों की विस्तारित शाखाओं के रूप में सभी प्रकार की दिव्यांगताओं के पुनर्वासन की सुनिश्चितता के लिए कार्यरत हैं। वर्तमान समय में, पूरे भारत देश में 19 राज्यों में 20 क्षेत्रीय दिव्यांगजन केंद्र हैं।

सीआरसी- भोपाल के बारे में

सीआरसी, भोपाल की स्थापना 14 अगस्त 2000 को राष्ट्रीय बौद्धिक दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान (रा. बौ. दि. स. स.) (एन.आई.ई.पी.आई.डी), सिकंदराबाद द्वारा दिव्यांगजनों के अधिकार अधिनियम (सिपडा) के कार्यान्वयन की योजना के तहत की गई थी। फरवरी 2006 में इसका अली यावर जंग राष्ट्रीय वाक् एवं श्रवण दिव्यांगजन संस्थान (दिव्यांगजन), मुंबई में दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन एक स्वायत्त निकाय के रूप में पुनर्निर्माण हुआ था।

सीआरसी भोपाल मध्य भारत क्षेत्र में दिव्यांगजनों के लिए पुनर्वास सेवाओं के विकास के लिए कार्यरत है। यह केंद्र सभी श्रेणियों के दिव्यांग व्यक्तियों के लिए व्यापक दिव्यांग पुनर्वास सेवाएं प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। हमारे केंद्र को वर्ष 2006 में बाधा रहित परिवेश के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार के साथ सम्मानित किया गया था। सीआरसी भोपाल की भौतिक उपलब्धियों के बारे में जानने के लिए, यहाँ क्लिक करें